शनिदेव की शास्त्रोक्त पूजन विधि - Shanidev ki Shastrokt Pujan Vidhi
पूजन सामग्री:-
√ शनिदेव की प्रतिमा – लोहे अथवा टीन की चादर से बनी हुई
√ पान
√ लौंग
√ इलायची
√ गुड़
√ वस्त्र(काला अथवा नीला)
√ दूध
√ दही
√ घी
√ मधु
√ शर्करा
√ यज्ञोपवीत
√ तेल
√ चंदन
√ तुलसी दल
√ शमी के पत्ते
√ दीप
√ धूप
√ पुष्पमाला
√ ऋतुफल
√ नैवेद्य
√ जल-पात्र
√ फूल
√ चम्मच
√ कलश
√ तिल
√ कुशा
√ दूर्वा
√ अक्षत
√ सुपारी
√ पान
√ रूपये (सिक्के – 1 रुपये के)
पूजन विधि :-
साधक ब्रह्म मुहुर्त में उठकर अपने नित्य क्रम से निवृत हो स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहन लें।पूजा की सभी सामग्री पूजा स्थान पर एकत्रित कर लें।साधक पूर्वाभिमुख होकर आसन पर बैठ जाये।
पवित्रीकरण
आचमन
अब पुष्प या चम्मच से तीन बार दाएँ हाथ में जल ले कर मुख को शुद्ध करने के लिये आचमन करें ।
अब “ॐ केशवाय नमः” मंत्र का उच्चारण करते हुए जल को पी लें।
फिर “ॐ नारायणाय नमः” मंत्र का उच्चारण करते हुए जल को पी लें।
अब “ॐ वासुदेवाय नमः” मंत्र का उच्चारण करते हुए जल को पी लें।
फिर “ॐ हृषिकेशाय नमः” कहते हुए दाएँ हाथ के अंगूठे के से होंठों को दो बार पोंछकर हाथों को धो लें।
भूतशुद्धि :-
गणेश जी का ध्यान :-
किसी भी पूजा में सबसे पहले गणेश जी का ध्यान और पूजा करना चाहिये। सुपारी पर मौली लपेट कर गणेश जी बनायें और इसे स्थापित करें । दोनों हाथ जोड़कर गणेश जी का ध्यान करें तथा मंत्र का उच्चारण मन-ही-मन में करें ।
गणेश जी के ध्यान के बाद ,पंचोपचार विधि से गणेश जी का धूप, दीप, अक्षत,चंदन तथा नैवेद्य अर्पित कर पूजन करें।
संकल्प:-
दायें हाथ में तिल, कुशा, दूर्वा, अक्ष त, सुपारी, पान, रूपये( 1रूपये का सिक्का) तथा जल लेकर संकल्प मंत्र का उच्चारण करें । सभी वस्तुएं शनिदेव की प्रतीमा के आगे छोड़ दें।
शनिदेव का ध्यान :-
दायें हाथ में पुष्प तथा अक्षत लेकर शनिदेव का ध्यान निम्न मंत्रो के उच्चारण के साथ करें ।
आवाहन
दायें हाथ में चावल तथा पुष्प लेकर शनिदेव का आवाहन मंत्र उच्चारण के साथ करें।
आवाहन मंत्र
अष्टम्याम् रेवतीसमन्वितायाम् सौराष्ट्रजातम् कश्यपगोत्रम्
लोहवर्णम् धनुराकृतिम् मण्डलात्पश्चिमाशास्थम्।
पश्चिमाभिमुखम् गृध्रवाहनम् संकरजातिम्
यमाधिदैवतम् प्रजापतिप्रत्याधिदेवतम् शनिमावाह्यामि॥
पुष्प तथा चावल शनिदेव पर अर्पित करें।
आसन
दोनों हाथ जोड़कर रविनंदन शनिदेव को आसन पर विराजमान होने के लिये प्रार्थना करें ।
आसन मंत्र
ऊँ पुरुष एवेदयं सर्व यद्भूतं यच्च भाव्यम।
उतामृतत्वस्येशानो यदन्नेनातिरोहति॥
पाद्य:-
शनिदेव को पैर धोने के लिये जल समर्पित करें तथा निम्न मंत्र का उच्चारण करें ।
पाद्य मंत्र
ऊँ एतावानस्य महिमातोज्यायांश्च पुरूष:।
पादोsस्य वीश्वभूतानि त्रिपादस्यामृतं दिवि॥
अर्घ्य:-
शनिदेव को हाथ धोने के लिये जल समर्पित करें तथा निम्न मंत्र का उच्चारण करें ।
अर्घ्य मंत्र
ऊँ त्रिपादूर्ध्व उदैत्पुरुष: पादोस्येहाभवत्पुन:।
ततो हि विष्वडव्यक्रामत्साशनानशनेsअभि॥
आचमन:-
शनिदेव को आचमन के लिये जल समर्पित करें तथा निम्न मंत्र का उच्चारण करें ।
आचमन मंत्र
ऊँ ततो विराडजायत विराजो अधि पुरुष:।
स जातो अत्यारिच्यत पश्चादभूमिममो पुर:॥
स्नान :-
शनिदेव को स्नान करायें। शनिदेव को गौदुग्ध, दही,घी, शहद, शर्करा तथा अंत में शुद्ध जल से मंत्रों के उच्चारण के साथ स्नान कराये।
गौदुग्ध स्नान मंत्र
ऊँ पय: पृथिव्यां पय औषधीषु पय दिव्यन्तरिक्षे पयोधा:।
पयस्वती: पयस्वती: प्रदिश: सन्तु मह्यम्॥
दधि स्नान मंत्र
ऊँ दधिक्राव्णो अकारिषं जिष्णोरश्वस्य्।
वाजिन: सुरभि नो मुखाकरत्प्रण आयुSषि तारिषत्।
घृत स्नान मंत्र
ऊँ घृतंघृत पावान: पिबत वसां वसापावान:।
पिबतान्तरिक्षस्य हविरसि स्वाहा दिश: प्रदिश
आदिशो विदिश उद्दिशोदिग्भ्य: स्वाहा।
मधु स्नान मंत्र
ऊँ मधुवाता ऋतायते मधुक्षरन्ति सिंधव:।
माध्वीर्न संत्योषधी:॥ मधुनक्तमुतोषसो
मधुमत्पार्थिवSरज: । मधुद्यौरस्तु न: पिता॥
मधुमान्नो वनस्पतिर्मधुमांअस्तु सुर्य:।
माध्वीर्गावो भवन्तु न:॥
शर्करा स्नान मंत्र
तपशान्तिकारी शीरा मधुरास्वाद सन्युता।
स्नानार्थं देवदेवेश शर्करेयं प्रदीयते॥
शुद्धोदक स्नान मंत्र
गंगागोदावरी रेवा पयोष्णी यमुना तथा।
सरस्वत्यादि तीर्थानि स्नानार्थं प्रतिगृहृताम॥
वस्त्र :-
शनिदेव को मंत्रों के उच्चारण के साथ काला वस्त्र समर्पित करें।
वस्त्र मंत्र
वस्त्राणि पट्टकलानि विचित्राणी नवानि च ।
मयानीतान देवेश प्रसन्नोभव शनिदेवम्॥
यज्ञोपवीत :-
शनिदेव को मंत्रों के उच्चारण के साथ यज्ञोपवीत समर्पित करें।
यज्ञोपवीत मंत्र
सौवर्णरजतंताम्रं कार्पासस्य तथैव च।
उपवीतम्म्या दत्तं प्रीत्यर्थं प्रतिगृहृताम॥
तेल :-
शनिदेव को इस मंत्र के उच्चारण के साथ सरसों अथवा काले तिल का तेल सम्पूर्ण शरीर में लगाने हेतु समर्पित करें।
तेल मंत्र
ऊँ तैलानि सुगन्धीनि द्रव्याणी विविधानिं।
च मया दत्तानि लेपार्थ गृहाण परमेश्वर॥
मधुपर्क :-
तेल समर्पण के बाद दही और शहद मिलाकर मधुपर्क के रूप में शनिदेव को मंत्रों के उच्चारण के साथ मधुपर्क समर्पित करें।
मधुपर्क मंत्र
दधि मध्वाज्य सन्युक्तं पात्रयुग्मसमन्वितम्।
मधुपर्कग्रहण त्वं वरदो भव शोभत:॥
चंदन :-
मंत्र उच्चारण के साथ तिलक लगाने के लिये चंदन समर्पित करें।व
चंदन मंत्र
सर्वेश्वर जगद्वंद्य दिव्यासन समास्थितं।
गंध गृहाण देवेश चंदनं प्रतिगृहृताम॥
अक्षत :-
तिलक पर अक्षत लगाने के लिये, मंत्र के उच्चारण के साथ अक्षत समर्पित करें।
अक्षत मंत्र
अक्षतांश्च सुरश्रेष्ठ शुभ्राधूनाश्च निर्मला:।
मयानिवेदिता भक्त्या गृहाण परमेश्वर्॥
पुष्प तथा माला :-
शनिदेव को मंत्र उच्चारण के साथ पुष्प तथा माला समर्पित करें।पुष्प गहरे लाल,काले अथवा नीले रंग के हों।
पुष्प मंत्र
माल्यादीनी सुगंधीनि मालत्यादीनी वै प्रभो।
मयाऽऽहतानि पूजार्थ पुष्पाणि प्रतिगृहृताम ॥
तुलसी :-
शनिदेव को मंत्र के उच्चारण के साथ श्यामा तुलसी दल समर्पित करें।
तुलसी मंत्र
ऊँ यत्पुरीषं व्यदधु: कतिधाव्यकल्पयन्।
मुखंकिमस्यासत्किम्बाहु किमुरुपादा उच्येते॥
तुलसी हेमरूपां च रत्नरूपाञ्च मञ्जरीम्।
भव मोक्षप्रदा तुभ्यमर्पेयामि हरिप्रियाम्॥
शमी :-
शनिदेव को मंत्र के उच्चारण के साथशमी वृक्ष के पत्ते समर्पित करें।
शमी मंत्र
शमी शयते पापं शमी शत्रुविनाशिनी।
धारिण्यर्जुनवाणानां रामस्य प्रियवादिनी॥
धूप :-
शनिदेव को धूप दिखायें तथा मंत्र का उच्चारण करें।
धूप मंत्र
वनस्पति रसोद्भूतो गन्धाढ्यो गंध उत्तम:।
आघ्रेय: सर्व देवानां धूपोयं प्रतिगृहृताम॥
दीप :-
शनिदेव को मंत्रों के उच्चारण के साथ दीप समर्पित करें।
दीप मंत्र
साज्यं च वर्ति संयुक्तं वह्निना योजितं मया ।
दीपं गृहाण देवेश त्रैलोक्य तिमिरापहम्॥
वस्त्र :-
शनिदेव को मंत्रों के उच्चारण के साथ नैवेद्य(गुड़,चना तथा काले तिल से बने नैवेद्य) समर्पित करें।
नैवेद्य मंत्र
अपूपानि च पक्वानि मण्डकावटकानि च।
पायसं सपमन्नञ्च नैवेद्यम्प्रतिगृहृताम॥
आचमन :-
आचमन के लिये मंत्र के उच्चारण के साथ जल समर्पित करें।
आचमन मंत्र
पानीयं शीतलं शुद्ध गांगेयमहदुत्तनम्।
गृहाण पार्वतीनात तव प्रीत्या प्रकल्पितम्॥
करोद्धर्तन :-
हाथ धुलने के लिये शनिदेव को जल समर्पित करें।
करोद्धर्तन मंत्र
कर्पूरादीनि द्रव्याणी सुगन्धीनि महेश्वर्।
गृहाण ग्रहाध्यक्षो करोद्धर्तन हेतवे।
फल:-
शनिदेव को मंत्र के उच्चारण के साथ ऋतुफल समर्पित करें।
फल मंत्र
कूष्माण्डं मातुलिङ्गञ्च नारिकेल फलानि च्।
गृह्णातु सुर्यसुतम् विशिष्टो खेटक प्रिय्॥
आचमन :-
आचमन के लिये मंत्र के उच्चारण के साथ जल समर्पित करें।
आचमन मंत्र
कर्पूरवासितं तूयं मंदाकिन्या: समाह्रतम्।
आचम्यतां जगन्नाथ मयादत्तं हि भक्तित:।
ताम्बूल :-
पान के पत्ते को पलट कर सुपारी,लौंग,इलायची तथा कुछ मीठा रखकर ताम्बूल बनायें। मुख-शुद्धि के लिये शनिदेव को मंत्र के उच्चारण के साथ ताम्बूल समर्पित करें।
ताम्बूल मंत्र
पूगीफलं मद्दीव्यं नागवल्लीदलैर्युतम्।
गृहाण देवदेवेश द्राक्षादीन गणेश्वर:॥
दक्षिणा :-
सामर्थ्यानुसार शनिदेव को दक्षिणा समर्पित करें।
दक्षिणा मंत्र
हिरण्यगर्भगर्भस्यं हेमबीजं समन्वितम्।
पञ्चरत्नं मयादत्तं गृह्यतां लोक वल्लभ:॥
आरती :-
दिये गये मंत्र से शनिदेव की आरती करें।
आरती मंत्र
अग्निर्ज्योतिरविर्ज्योति ज्योतिर्नारायणोविभु:।
नीराजयानि देवेशं पञ्चदीपे सुरेश्वर॥
पुष्पांजली :-
दोनों हाथों मे पुष्प लेकर खड़े हो जायें और मंत्र के उच्चारण के साथ पुष्पांजली समर्पित करें।
पुष्पांजलि मंत्र
देवो दैत्येश्वरो वीरो वीरवंद्यो दिवाकर:।
पुष्पांजलि गृहाणेश सर्वेश्वर नमोस्तुते॥
नमस्कार :-
दोनों हाथों को जोड़कर मंत्र के उच्चारण के साथ शनिदेव को नमस्कार करें।
नमस्कार मंत्र
पार्थिव: पार्थ संपूज्य पार्थद: प्रणत: प्रभु:।
पृथिवीश: पृथातुंद्र: धरणीनायको नम:॥
प्रदक्षिणा:-
अपने स्थान पर खड़े होकर तीन बार प्रदक्षिणा करें तथा मंत्र का उच्चारण करें।
प्रदक्षिणा मंत्र
यानि कानि च पापानि जन्मांतर कृतानि च।
तान तानि विनश्यन्ति प्रदक्षिणां पदे-पदे॥
क्षमा प्रार्थना :-
दोनों हाथों जोड़कर पुजा में हुई भूल के लिये शनिदेव से क्षमा प्रार्थना करें ।
क्षमा प्रार्थना मंत्र
अपराध शतं देव मत्कृतं च दिने दिने।
क्षम्यतां पावने देव-देवेश नमोSस्तु ते॥