शनिदेव जी की स्तुति

शनिदेव जी की सुमधुर आरती शनिदेव जी की सरल आरतीशनिदेव जी की सुगम आरतीशनिदेव जी की सरस आरती शनिदेव जी की सुरीली आरती

शनिदेव जी की स्तुति
जय सगुण निर्गुण रूप, शनि अनूप सुरपति नमामहे,
जय प्रणतपाल दयालु प्रभु सन्युक्त शक्ति नमामहे।
तव विवश मायावश सुरासुर नाग नर अग जग हरे,
भवपंथ भ्रमतश्रमितदिवस निशिकाल कर्म गुणन भरे।
जय नाथ करि करुणा विलोकेविविध दुख ते निर्बहे,
भवखेद छेदन दक्ष हम कहं, रक्ष राम नमामहे।
ध्वज कुलिश अंकुश कंजयुत वन,फिरत कंटक जिन लहे,
पदकंज द्वंद मुकुन्द राम रमेश नित्य भजामहे।
जय ज्ञान मान विमत्त तम,भव हरिणि भक्ति न आदरी,
ते पाय सुरदुर्लभ पदादपि परत हम देखत हरी।
विश्वास करि सब आश परि,हरिदास तब जे हो रहे,
जपि नाम तब विनुश्रम तरहि भवनाथ सोई स्मरामहे।
अव्यक्त मूलमनादि तरु त्वच चारि नगमागम भने,
षट कंध शाखा पंचविंश,अनेक पर्ण सुमन घने।
फलयुगल विधिकतु मधुरबेलि अकेलि जेहि आश्रित रहे,
पल्वत फूलत न बेल नित संसार विटप नमामहे।
जो ब्रह अजमद्वैत मनुभव,गम्य मन पर ध्यावहीं,
ते कहहु जानहु नाथ हम,तब सगुण यश नित गावहीं ।
करुणायत्न प्रभु सद्गुणाकर ,देहु यह वर मांगहीं,
मन वचन कर्मविकार तजि,तुम चरण हम अनुरागहीं ।

शनिदेव जी की सुमधुर आरती

Nice story with moral in Hindi

॥ इति शनिदेव जी की सुमधुर आरती ॥