प्रभु प्रेम में सौदा नहीं
Prabhu Prem me Sauda nahin
एक बार एक ग्वालन दूध बेच रही थी और सबको दूध नाप नाप कर दे रही थी । उसी समय एक नौजवान दूध लेने आया तो ग्वालन ने बिना नापे ही उस नौजवान का बर्तन दूध से भर दिया।
वही थोड़ी दूर पर एक साधु हाथ में माला लेकर मनको को गिन गिन कर माल फेर था। तभी उसकी नजर ग्वालन पर पड़ी और उसने ये सब देखा और पास ही बैठे व्यक्ति से सारी बात बताकर इसका कारण पूछा ।
उस व्यक्ति ने बताया कि जिस नौजवान को उस ग्वालन ने बिना नाप के दूध दिया है वह उस नौजवान से प्रेम करती है इसलिए उसने उसे बिना नाप के दूध दे दिया ।
यह बात साधु के दिल को छू गयी और उसने सोचा कि एक दूध बेचने वाली ग्वालन जिससे प्रेम करती है तो उसका हिसाब नही रखती और मैं अपने जिस ईश्वर से प्रेम करता हुँ, उसके लिए सुबह से शाम तक मनके गिनगिन कर माला फेरता हुँ। मुझसे तो अच्छी यह ग्वालन ही है और उसने माला तोड़कर फेंक दी।
जीवन भी ऐसा ही है। जहाँ प्रेम होता है वहाँ हिसाब किताब नही होता है, और जहाँ हिसाब किताब होता है वहाँ प्रेम नही होता है, सिर्फ व्यापार होता ।
अतः प्रेम भले ही वो पत्नी से हो , भाई से हो , बहन से हो , रिश्तेदार से हो, पडोसी से हो , दोस्त से हो या फिर भगवान से । निस्वार्थ प्रेम कीजिये जहाँ कोई गिनती न हो , लेनदेन का हिसाब न हो। कम या ज्यादा का भाव न हो। तेरे मेरे का हिसाब न हो।
देने के बदले लेने का हिसाब न हो।
भगवान तो कुछ लेने के नहीं सिर्फ और सिर्फ भाव के भूखे है। उन्हें सिर्फ और सिर्फ अपने प्रेम भाव दिखाए। कुछ लेने के बदले देने का भाव न रखे। यह तो सौदबाजी है। जब सब कुछ परमात्मा का, तो उन्ही से सौदेबाजी ? एक वार श्री राम जी, श्री कृष्ण जी या भोलेनाथ जी से निच्छल प्रेम करके तो देखें, आपकी सहायता के लिए भागे चले आएंगे।
जय जय श्री राम