शनिव्रत का विधान, पुजन सामग्री, दान सामग्री व कथा
ध्यान दें :- शनिदेव की पूजा सुर्वोदय के पहले करनी चाहिये।
शनिव्रत का महात्मय
ऐसे तो शनि ग्रह से पीड़ित मनुष्य शनिवार का व्रत करते हैं जिससे कि उनकी सभी मुश्किलें शनिदेव दूर कर दें । लेकिन शनिदेव के भक्तों को भी शनिवार का व्रत जरूर करना चाहिये। शनि-ग्रह की शांति के लिये यह व्रत सबसे उपयुक्त है। विधि-विधान से शनि व्रत करने पर शनिजनित सभी दोष तथा रोग नष्ट हो जाते हैं और मनुष्य को धन का लाभ भी होता है। संसार के सभी उद्योग, व्यवसाय, कल-कारखाने, धातु उद्योग, लौह उद्योग, समस्त तेल, काले रंग की सभी वस्तुएं, काले जीव, चोर भय तथा क्रूर कार्यों के अधिपति शनिदेव हैं। अत: शनि ग्रह से सम्बंधित हर तरह के कष्टों से मुक्ति के लिये शनिव्रत का विधान है।
शनिदेव धर्म, जाति, उम्र, ऊंच-नीच आदि किसी भी बंधन को नहीं मानते। वे सभी तरह के बंधनों से परे हो कर संसार के सभी जीवों का न्याय करते हैं तथा मनुष्य के कर्मों के अनुसार परिणाम देते हैं।
पूजन सामग्री :-
दान करने के लिये :-
• तिल
• जौ
• उड़द
• गुड़
• लोहा
• तेल
• काले
• वस्त्र
• यथाशक्ति उपर्युक्त वस्तुओं का दान किसी मंदिर अथवा गरीबों में करें ।